प्रश्न- किस रावण को आग लगाऊँ,किस रावण को मार भगाऊँ।
जन-जन रावण घर-घर लंका इतने राम कहाँ से लाऊँ?
उत्तर- हर दल रावण हर दल राम किसी में कम हैं कहीं तमाम ।
राम मारते रावण मरता पर रावण का हुआ न नाश।
त्रेता से सतयुग द्वापर तक कलियुग तक का है इतिहास।
पापी मरते पाप न मरता फिर फिर पाप पनपता है।
कंसराज को कान्हा मारे "राजा" किससे डरता है?
कलमाडी कनिमोझी बाड्रा वीरभद्र गडकरी सुनाम।
कोई चड्ढी बनियाइन में कोई नंगा बीच हमाम।
हर दल रावण.................
मन्थर मन्थर चले मन्थरा चाचा सबके शरद पवार।
राहुल बाबा शीला चाची यदुरप्पा भी करें कमाल।
माया की माया की माया सुनो मुलायम की तकरीर।
चारा खा पगुराते लालू चोखी उनकी भी तकदीर।
काबा काशी मत्था टेकें चाहे करलें चारो धाम।
पाप की गठरी सिर चढ़ बोले सबका होगा काम तमाम।
सारा कुनबा आँचल थामे कब तक रहम करेंगे राम।
हर दल रावण ..........................
पाप रहा था पाप रहेगा होगा पर पापी का नाश।
कृष्ण कालियों को नाथेंगे खुर्शीदों का सत्यानाश।
कब तक गाँधी अन्ना कब तक जब जागो है तभी प्रभात।
बिन मिठास का गन्ना कब तक भूत भागते खाकर लात।
ब्लैकमनी तो अटी पड़ी है पर उस पर साँपों का राज।
बनी अयोध्या लंका जैसी हक्का बक्का सभ्य समाज।
सीधी उँगली घी कब निकले अब टेढी उँगली का काम।
हर दल रावण....................
जन-जन रावण घर-घर लंका इतने राम कहाँ से लाऊँ?
उत्तर- हर दल रावण हर दल राम किसी में कम हैं कहीं तमाम ।
राम मारते रावण मरता पर रावण का हुआ न नाश।
त्रेता से सतयुग द्वापर तक कलियुग तक का है इतिहास।
पापी मरते पाप न मरता फिर फिर पाप पनपता है।
कंसराज को कान्हा मारे "राजा" किससे डरता है?
कलमाडी कनिमोझी बाड्रा वीरभद्र गडकरी सुनाम।
कोई चड्ढी बनियाइन में कोई नंगा बीच हमाम।
हर दल रावण.................
मन्थर मन्थर चले मन्थरा चाचा सबके शरद पवार।
राहुल बाबा शीला चाची यदुरप्पा भी करें कमाल।
माया की माया की माया सुनो मुलायम की तकरीर।
चारा खा पगुराते लालू चोखी उनकी भी तकदीर।
काबा काशी मत्था टेकें चाहे करलें चारो धाम।
पाप की गठरी सिर चढ़ बोले सबका होगा काम तमाम।
सारा कुनबा आँचल थामे कब तक रहम करेंगे राम।
हर दल रावण ..........................
पाप रहा था पाप रहेगा होगा पर पापी का नाश।
कृष्ण कालियों को नाथेंगे खुर्शीदों का सत्यानाश।
कब तक गाँधी अन्ना कब तक जब जागो है तभी प्रभात।
बिन मिठास का गन्ना कब तक भूत भागते खाकर लात।
ब्लैकमनी तो अटी पड़ी है पर उस पर साँपों का राज।
बनी अयोध्या लंका जैसी हक्का बक्का सभ्य समाज।
सीधी उँगली घी कब निकले अब टेढी उँगली का काम।
हर दल रावण....................