Saturday, November 3, 2012

बेटियाँ

बेटियाँ नवगीत सरगम हैं तराना है,
वे हैं दुर्गा सती सीता सत्यभामा हैं।

बेटियाँ हैं चाँदबीबी इंदिरा झाँसी की रानी,
फूल की ़डाली कि जीने का बहाना हैं।

बेटियाँ ऊषा की लाली धूप जा़ड़ों की,
आँख का हैं नूर प्राणों का ठिकाना हैं।

वेद की पावन ऋचा शुभगन्ध यज्ञों की,
मूर्ति स्वाहा की कि खुद तप का बहाना हैं।

बनके जो समिधा जलाती खुद को संयम से,
वो प्रणव की प्रथम बेटी सत्यकामा हैं।

यह न बोलो बेटियाँ हैं बोझ जीवन में,
प्यार में ढालो कि वे तो प्राण हैं तन में।

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