अबकी दीवाली पर काश,कुछ नया होता,
खिलते कुछ नये फूल नव सुगन्धि भर जाते।
मर जाते मिट जाते कलुष दिलों के काश,
रिक्त-रन्ध्र स्नेह-सिक्त भावों से भर पाते।
अँधियारा मिट पाता होता फिर नव प्रभात,
चोरों उचक्कों के और राज़ खुल पाते,
अबकी दीवाली पर दीयों की बाती और-
कीड़ों मकोड़ों संग भ्रष्ट नेता चुक जाते।
खिलते कुछ नये फूल नव सुगन्धि भर जाते।
मर जाते मिट जाते कलुष दिलों के काश,
रिक्त-रन्ध्र स्नेह-सिक्त भावों से भर पाते।
अँधियारा मिट पाता होता फिर नव प्रभात,
चोरों उचक्कों के और राज़ खुल पाते,
अबकी दीवाली पर दीयों की बाती और-
कीड़ों मकोड़ों संग भ्रष्ट नेता चुक जाते।
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