Sunday, December 23, 2012

नव वर्ष 2013

नववर्ष 2013

नये वर्ष में हर्ष से करिये मित्र विचार,                              
बीती ताहि बिसारियेउचित नहीं हर बार।
ह्यूमन राइट क्या बला कैसा है यह न्याय,
कातिल को कमतर सजा मरा मरा मर जाय।
बलात्कार जिसने किया उसको मिला इनाम,
ह्यूमन राइट टीम ने बाँटा मख्खन जाम।
अस्मत जिनकी लुट गयी वही हुए बदनाम।
और लुटेरे घूमते पी कर दूध-बदाम।                         
ह्यूमन बीइंग कौन हैं?किनको माना जाय?
जो पत्तल में थूक कर उसमें खाना खाय़ँ।
पच्छिम से आयी नई परिभाषा है भ्रष्ट,
निजता से सब गड़बड़ी मानवता भी नष्ट।
आत्मवत् सर्वभूतेषुभूल गये सब मंत्र,
अपना-अपना चल पड़ा मनवा हुआ स्वतंत्र।
अपनी पीड़ा की तरह सबकी पीड़ा जान,
बकरा,मुरगा,मीन में सबमें प्राण समान।
अपनी है अपनी अपन परकीया है माल,
ऐसी सोच विकारहै हर विकार है काल।
कैसे ऐसी सोच के ह्यूमन हुए महान,
ह्यूमन जो है ही नहीं उसके प्रति सम्मान!
जो फेंके तेज़ाब या करें रेप का खेल,
उनका भूखे शेर के पिंजड़ो में हो खेल।
सुधा रामलिंगम् कहें ह्यूमन है रेपिष्ट,
क्या वह ह्यूमन ही नहीं जिसका हुआ अनिष्ट!
परपीड़ा सम नहिं अधमाईभूल गये सब मंत्र,
अधम नराधम हों भला क्यों मानव या संत?
ह्यूमन राइट टीम में कैसे कैसे लोग,
चमचागीरी कर रहे लगा पश्चिमी रोग।
*           *             *

नये वर्ष में हर्ष से करिये मित्र विचार,
बीती ताहि बिसार देउचित नहीं इस बार।
कहीं हार पर हर्ष कहीं जीत पर हर्ष,
कहीं पराजय सालती जय पर कहीं विमर्श।
कैसे कैसे लोग हैं आज विजय में मस्त,
सर माथे पर वे चढे जो थे सबसे भ्रष्ट।
जिन्हें कोर्ट भी कह चुका भ्रष्टों का सरदार,
वही चौधरी जा बने कैसे हो उद्धार।
वीरभद्र जीते वहीं जीते प्रेम कुमार,
दोनों पर आरोप हैं फिर भी जयजयकार।
लाखों की इनकम हुई रातों रात करोड़,
कोई रोक न लग सकी मिला न कोई तोड़।
चोरी चोरी है कहाँ यदि सैंया कोतवाल,
इनकम टैक्स विभाग में मैडम पहरेदार।
पर मोदी की जीत पर हैं खबीस हैरान,
झोपड़ पट्टी की फिलम कर न सकी कुछ काम।
केशू भाई, सोनिया, बाघेला का खेल,
मोदी ने लंगी लगा किया सभी को फेल।।


No comments:

Post a Comment