Tuesday, June 25, 2013

उत्तराखण्ड में राहुल बाबा

छत्तीस गढ़ में परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले के समय भारत के गृहमन्त्री गायब थे और जब सब थम गया तो विदेश से  लौट पाये ।अब जब उत्तराखण्ड में प्रलय आया  काँग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल बाबा गायब थे । मामला क्या है ? अपनी प्रजा के प्रति  आखिर इन राजा महाराजाओं  को दया देर से क्यों आती है? रेणुका जी बतायें जिन्हे कई घाट के पानी पीने का भव्य अनुभव है।

Saturday, June 8, 2013

जीवित संगठन खानदानों के मुँहताज नहीं होते!



कांग्रेस के कुछ चवन्नी छाप नेता और नये पैदा हुये छुट भैये पत्रकारों को नई हवा पर इतनी हाय तोबा मचाते देखकर सोचता हूँ , इतिहास को कोई कब तक भुलाये रख सकता है।भाजपा की आज की कहानी  वीवी गिरि के राष्ट्रपति बनने और नीलम संजीव रेड्डी की उनसे पराजय के पहले ही मोरार जी भाई अतुल्य घोष,सीबी गुप्ता जैसे जड़ियल नेताओं द्वारा इंदिरा गांधी जैसी नवजवान नेत्री के साथ कांग्रेस पार्टी के वर्टिकल डिवीजन  की याद दिला रहा है। सीताराम केसरी और सोनिया गांधी की कहानी भी तो अडवानी ऐण्ड कंपनी और मोदी की कहानी से ज्यादा अलग नहीं बल्कि यह इंदिरा गांधी के साथ इंदिरा कांग्रेस के जन्म के ज्यादा करीब है।अडवानी  के घर के सामने प्रदर्शन भी कोई नई बात नहीं है । इंदिरा के जमाने में युवातुर्कों की -चंद्रशेखर आदि की कहानी भी इससे अलग नहीं रही है। जीवित जातियाँ,संगठन पार्टियाँ खानदानों की मुहताज कब रहीं हैं। बलराज मधोक, वीपी सिंह के बाद उमा भारती और गोबिन्दाचार्य तथा कल्याण सिंह के साथ ही शंकर सिंह बाघेला तो अभी भी हमारे सामने हैं।पर याद रहे और सनद भी कि कांग्रेस का इतिहास भाजपा से अलग रहा है,जहाँ पार्टी तोड़ने या छोड़ने वाले कौड़ी के तीन और कांग्रेस छोड़ने और तोड़ने वाले राष्ट्रपति बनने वालों की लम्बी फेहरिस्त रही है। याद रखें, अडवानीजी या नरेन्द्र मोदी कोई पार्टी छोड़ने या तोड़ने नहीं जा रहाहै ।