Saturday, December 13, 2014

समाजवादी पंचायत


फिर से लो जुटने लगे तरह तरह के लोगचारा खा खा कर लगे जिन्हें अनेकों रोग ।।

दस या पन्द्रह साल पर बदल बदल कर नाम, बोतल बदली जा रही वही पुराना जाम।।
खाल ओ़ढ कर भेंड़ की शेर न होता भेंड़आज़ादी के बाद से हुआ बहुत यह खेल।।
चाल न बदली बदल कर चोले सौ सौ बारकर न सका कोई कभी जनता का उद्धार।।
एसपी पीएसपी बनी जनतादली पचीसराजद बीजद लोकदल (यू)(एस)जैसे बीस।।
बग्घी अंग्रेजी दिखी केक पिछत्तर फीटकृपलानी जेपी रहे अपना मत्था पीट।।
लोहिया सिसकी भर ऱहे हँसें नरेन्दर देव-देख कि कैसे भर रही किसकी किसकी जेब।।
कल तक भगवा थाम कर चलने वाले लोग,कुर्सी पर काबिज हुये भोगें छप्पन भोग।।
दाल न गलती देख कर बदल लिया है रंगहुआ हुआ करने लगे मनवा हुआ मलंग।।
लोकसभा में ऊँघने वाले नेता आज पद की गरिमा भूल कर साझा करते रा़ज।।
टीचर भर्ती का कोई चारे वाला अन्यकोई छूटा जेल का कोई जेल में धन्य।।
करके भर्ती पुलिसिया कर कर भ्रष्टाचारलोहियावादी शेखजी महिमा अपरम्पार।।
सोशलि़ज्म को कोसने वालों की औलादगलबहिंया डाले दिखे लिये हाथ में हाथ।।
बहुत हुआ जोभी हुआ अब नचलेगी चालखिच़डी पकी न आजतक गली न अबतक दाल।।

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