Sunday, December 28, 2014

नव वर्ष -2015

नव वर्ष 2015

नये वर्ष में हर्ष से नई सोच के साथ,आगे आगे ही बढ़ें लिये हाथ में हाथ।
साथ चलें बोलें सदा मन हों एक समान,सब निरोग हों सब रखें सबके हित का ध्यान।
मानवता से भी प्रखर प्राणिमात्र से प्रेम,मिटे भरम सब धरम का ऊँच नीच का गेम।।
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अंधकार छँटने लगा दिखने लगा प्रकाश,आहट है बदलाव की थोड़ी लेलो साँस।
पहले क्या कोई कभी गोद लिये था गाँव,सब अपने में मस्त थे रख अंगद का पाँव।
झाड़ू सबके हाथ में क्या राजा क्या रंक,पहले दिखा न इस तरह लड़ता कोई जंग।
गंगा को बेटा मिला माँ का उसको प्यार,लगन कहो आस्था कहो होने लगा सुधार।
बरसों से जो ना हुआ वही हुआ इस बार,असी घाट की सीढ़ियाँ दिखने लगीं अपार।
कुछ तो आशा है बँधी कुछ तो है संतोष,कुछ कुछ है दिखने लगा लोगों में है जोश।
सर्वसमावेशी समझ सबको लेकर साथ,बनना मिटना साथ में लिये हाथ में हाथ।
हो विकास सबका सदा धरम भरम से दूर,पवन बहे सबको लगे पंडित मुल्ला घूर।।

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