Tuesday, February 10, 2015

सन्ताप

लाभ हानि जीवन मरण जीत हार व्यापार।इन्हें न छाड़ो ईश पर बैठो करो विचार।।
ऊँचे पद पर बैठ कर अपनी गरिमा त्याग।कभी न कड़ुआ बोलिये सब पर हो अनुराग।।

कोई गाली दे कभी उसको करिये माफ।कीचड़ में उगता कमल रहे साफ पर साफ।।
कहा किसीने मौत का सौदागर इकबार।पग पग पर मिलती रही उन्हें हार पर हार।।

अपनों की अवहेलना गैरों पर एतबार।मुश्किल होता चित्त को फुसलाना हर बार।।
लकड़ी की हाँड़ी नहीं चढ़ती बारंबार।आग "हाय" की जब लगे होता बंटाढार।।
तीरथ-बेदी-शाजिया-बिन्नी जैसे लोग।चढ़ा करैला नीम पर बिगड़ गया संजोग।।
पहले इनको माँजते कुछ दिन धरते शान।अमरित की घुट्टी चखा दिखलाते मैदान।।

कछुआ जीतेगा तभी अविरल चलता जाय।सुस्ताना उल्टा पड़े लक्ष्य दूर हो जाय।।
आन्दोलन धीमे पड़े धरना धरना बंद।बीजेपी डूबी इधर काँग्रेस मतिमन्द।।
ममता लड़ लड़ कर बढ़ी वामपंथ है कुन्द।जन गण मन देखे उसे दूर करे जो धुऩ्ध।।
धरने की आलोचना उचित नहीं है यार।जनता की आवाज़ पर लड़ा केजरीवाल।।
जनता ने कंधे बिठा किया बहुत सम्मान।अहं धूल चाटे,गिरे बड़े बड़े बलवान।।

बड़े बड़े वादे किये मोदी बने प्रधान।वादे कर कर केजरी सबके काटे कान।।
वादे कर उतरे खरा सेवक वही महान।बोये सींचे ध्यान से वही काटता धान।।  

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