दीपावली 2016
चलो जलालो दीप कि सैनिक सीमाओं पर जाग रहे। टूटी साँसों वाले नेता बैठ खाट पर खाँस रहे।।
अकर्मण्य बन रहे सिसकते जो पिछले सालों में यार-आज हाँफते डींग हाँकते वन प्लस वन बतलाते चार।।
उन्निस के बदले पचास का जिनको चहिये यार सबूत-किये दलाली जो जीवन भर उनको जन्मा नया कपूत।।
कहाँ इंदिरा मनमोहन या कहाँ शास्त्री कहाँ अटल,कहाँ जवाहर वीके मेनन तुलनाएँ हैं बहुत जटिल।।
अहंकार का रावण हारा पर साँसों में है जीवित-जब तक हाफिज़ अज़हर जिन्दा शान्ति कोटरों तक सीमित।।।
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