Saturday, December 22, 2018

नव वर्ष 2019

नये वर्ष में हर्ष से गले मिलें सब लोग,हों प्रसन्न हँसते रहें मिटें सभी के रोग।
कर्ज मुक्त हों कृषकजन,भगवामुक्त प्रदेश,पप्पू घर घर जन्म लें फैलाओ संदेश।

ए.जे.एल. को दान में मिले जमीन मकान,नगर डगर वाड्रा बसें ऐसा बने विधान।
अ सहिष्णुता देखिये गर्दन रही उठाय,मियाँ नसीरुद्दीन की लगी देश को हाय ।

दुर्जन निकला देखिये जिसका सज्जन नाम,सरदारों के कत्ल का है जिसपर इल्जाम।
बीबी (नैना)को तंदूर में भूना जिसने यार,सजा भुगत कर आगया नाम सुशीलकुमार।

दोनों का दल एक है एक समान विचार,इक दुर्जन है दूसरा इस धरती पर भार।
नये साल में देखिये आगस्ता राफेल,कौन पास होगा मियाँ कौन रहेगा फेल।
(रागा होगा फेल या मोदी होंगे फेल।।)

नव वर्ष 2018

हार गये पर हार न मानें, छौंक रहे हैं शान।
जीते को हारा कहें अपना सीना तान।।
एक एक घर पीछे हटते प्यादे हुए निढाल।
राजा रानी हाथी धोड़े सब के सब बेहाल।।
औरों के कँधे पर चढ़ कर खुद को मानें वीर।
लक्ष्यहीन से चला रहे हैं आँख मूँद कर तीर।।
मणिशंकर सिब्बल से नेता जिनके खेवन हार।
उन्हें न दुश्मन पड़ें खोजने करने बंटाढार।।

दीपावली 2017

चलो दीप में स्नेह डाल कर उन्हें जलालें,धरती पर आकाश उतारें शीश झुका लें।
खील बताशे बाटें, मन का मैल मिटालें,सबका ही हो साथ सभी को सब अपना लें।
सब हों सुखी निरोगी सबकी निर्मल काया,सबका हो कल्याण धरा परिवार बना लें।।

जो धरती पर आग लगा कर करें तमाशा,उनको उनकी ही भाषा में मिले तमाचा।
शठ को शठ की तरह सजा हो भूल न जाना,लातों नाला भूत बात से कब है माना।
देश हमारा हमको प्यारा धरम जात बेमानी है,हम भारत माँ की सन्तानें भारत के सेनानी हैं।।

चलो होली (2017) मनाते हैं

।। चलो होली (2017) मनाते हैं ।।
चलो होली मनाते हैं/ सबसे पहले कानपुर के देशप्रेमी मो.सरताज़ को सलाम बजा लाते हैं / उन्हें गले लगाते हैं।
फिर  /सबका साथ सबका विकासकी समर्थक जनता को प्रणाम करते हैं / बाबा विश्वनाथ और सोमनाथ का दर्शन करते हैं/  'काम बोलता है'  का ढोल पीटने वालों तथा चारा चबानेवाले समधी का मान मर्दन करते हैं।

चलो/ फिर गुजरात चलते हैं / सैफई के सफारी में आये गुजरात के गिर के शेरों की तरह/ दो बैसाखनंदन लाते हैं/
एक पर पप्पू को तो एक पर 'कामबोलता अक्कू' को बिठाते हैं / दोनों के माथे पर चंदन और केसरिया गुलाल लगाते हैं/ मोदी के स्वच्छता अभियान की भावना के तहत/ एक के पीछे झब्बर और अय्यर को/ तो एक के पीछे
माल मालामाल को लगाते हैं।

 होली है तो अमर सिंह की बात भी बताते हैं/ जो पप्पू की खटिया खड़ी कराते हैं/ समाजवादियों की जड़ में मट्ठा डलवाते और उनको अब जड़से उखाड़ फेंकने की कसमें खाते हैं।

चलो /विजय की भंग पीकर गाने बजाने वालों की/ बारात सजाते हैं/ कीचड़ में कमल खिलाते हैं / सबके साथ सबके विकास का नगाड़ा बजाते हैं/
चलो होली मनाते हैं.......... चलो होली मनाते हैं।।/

यूपी चुनाव 2017

लो पछुआ चलने लगा पत्ते गिरे तमाम। सिंहासन हिलने लगा सत्ता हुई धड़ाम ।।
वादे नारे शोरगुल क़ब्रगाह शमशान। जनता ने साबित किये सच्चे झूठे काम।।
टीपू औरंगजेब बन खूब रहे थे झूल। झूला टूटा डाल से गये हेकड़ी भूल।।
पंजे ने गर्दन पकड़ उनको दिया मरोड़। जनता घपले जानती लाखों लाख करोड़ ।।
आज़म अब्बू आज़मी गायत्री गोपाल। लो नरेश नन्दा फँसे अमरसिंह के जाल ।।
लालू की हँफनी बढ़ी हाँक रहे थे डींग। चारे से पेंचिश बढ़ी चाट रहे हैं हींग।।
बब्बर भी खप्पर लिये माँग रहे हैं भीख। मणिशंकर देने चले पप्पू जी को सीख -
हार जीत जीवन मरण समय समय की बात, अंधकार जितना घना उतना शुभ्र प्रभात ।।
दिग्गी राजा कह रहे बड़े पते की बात, बिन बदले आना नहीं जलदी नया प्रभात ।
पंजे ने गर्दन पकड़ उसको दिया मरोड़, घपले जनता जानती लाखों लाख करोड़ ।।
जाति धर्म सब भूल कर सबने मानी बात, अमित शाह मोदी मुदित पाकर सबका साथ।.
केसरिया होली हुई खिला कमल का फूल, बुआ और बबुआ गिरे दिखे चा़टते धूल।।