चलो दीप में स्नेह डाल कर उन्हें जलालें,धरती पर आकाश उतारें शीश झुका लें।
खील बताशे बाटें, मन का मैल मिटालें,सबका ही हो साथ सभी को सब अपना लें।
सब हों सुखी निरोगी सबकी निर्मल काया,सबका हो कल्याण धरा परिवार बना लें।।
जो धरती पर आग लगा कर करें तमाशा,उनको उनकी ही भाषा में मिले तमाचा।
शठ को शठ की तरह सजा हो भूल न जाना,लातों नाला भूत बात से कब है माना।
देश हमारा हमको प्यारा धरम जात बेमानी है,हम भारत माँ की सन्तानें भारत के सेनानी हैं।।
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