।। चलो होली (2017) मनाते हैं ।।
चलो होली मनाते हैं/ सबसे पहले कानपुर के देशप्रेमी मो.सरताज़ को सलाम बजा लाते हैं / उन्हें गले लगाते हैं।
फिर /सबका साथ सबका विकासकी समर्थक जनता को प्रणाम करते हैं / बाबा विश्वनाथ और सोमनाथ का दर्शन करते हैं/ 'काम बोलता है' का ढोल पीटने वालों तथा चारा चबानेवाले समधी का मान मर्दन करते हैं।
चलो/ फिर गुजरात चलते हैं / सैफई के सफारी में आये गुजरात के गिर के शेरों की तरह/ दो बैसाखनंदन लाते हैं/
एक पर पप्पू को तो एक पर 'कामबोलता अक्कू' को बिठाते हैं / दोनों के माथे पर चंदन और केसरिया गुलाल लगाते हैं/ मोदी के स्वच्छता अभियान की भावना के तहत/ एक के पीछे झब्बर और अय्यर को/ तो एक के पीछे
माल मालामाल को लगाते हैं।
होली है तो अमर सिंह की बात भी बताते हैं/ जो पप्पू की खटिया खड़ी कराते हैं/ समाजवादियों की जड़ में मट्ठा डलवाते और उनको अब जड़से उखाड़ फेंकने की कसमें खाते हैं।
चलो /विजय की भंग पीकर गाने बजाने वालों की/ बारात सजाते हैं/ कीचड़ में कमल खिलाते हैं / सबके साथ सबके विकास का नगाड़ा बजाते हैं/
चलो होली मनाते हैं.......... चलो होली मनाते हैं।।/
चलो होली मनाते हैं/ सबसे पहले कानपुर के देशप्रेमी मो.सरताज़ को सलाम बजा लाते हैं / उन्हें गले लगाते हैं।
फिर /सबका साथ सबका विकासकी समर्थक जनता को प्रणाम करते हैं / बाबा विश्वनाथ और सोमनाथ का दर्शन करते हैं/ 'काम बोलता है' का ढोल पीटने वालों तथा चारा चबानेवाले समधी का मान मर्दन करते हैं।
चलो/ फिर गुजरात चलते हैं / सैफई के सफारी में आये गुजरात के गिर के शेरों की तरह/ दो बैसाखनंदन लाते हैं/
एक पर पप्पू को तो एक पर 'कामबोलता अक्कू' को बिठाते हैं / दोनों के माथे पर चंदन और केसरिया गुलाल लगाते हैं/ मोदी के स्वच्छता अभियान की भावना के तहत/ एक के पीछे झब्बर और अय्यर को/ तो एक के पीछे
माल मालामाल को लगाते हैं।
होली है तो अमर सिंह की बात भी बताते हैं/ जो पप्पू की खटिया खड़ी कराते हैं/ समाजवादियों की जड़ में मट्ठा डलवाते और उनको अब जड़से उखाड़ फेंकने की कसमें खाते हैं।
चलो /विजय की भंग पीकर गाने बजाने वालों की/ बारात सजाते हैं/ कीचड़ में कमल खिलाते हैं / सबके साथ सबके विकास का नगाड़ा बजाते हैं/
चलो होली मनाते हैं.......... चलो होली मनाते हैं।।/
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