हार गये पर हार न मानें, छौंक रहे हैं शान।
जीते को हारा कहें अपना सीना तान।।
एक एक घर पीछे हटते प्यादे हुए निढाल।
राजा रानी हाथी धोड़े सब के सब बेहाल।।
औरों के कँधे पर चढ़ कर खुद को मानें वीर।
लक्ष्यहीन से चला रहे हैं आँख मूँद कर तीर।।
मणिशंकर सिब्बल से नेता जिनके खेवन हार।
उन्हें न दुश्मन पड़ें खोजने करने बंटाढार।।
जीते को हारा कहें अपना सीना तान।।
एक एक घर पीछे हटते प्यादे हुए निढाल।
राजा रानी हाथी धोड़े सब के सब बेहाल।।
औरों के कँधे पर चढ़ कर खुद को मानें वीर।
लक्ष्यहीन से चला रहे हैं आँख मूँद कर तीर।।
मणिशंकर सिब्बल से नेता जिनके खेवन हार।
उन्हें न दुश्मन पड़ें खोजने करने बंटाढार।।
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